कवि तुम इतना डरे हुए
क्यों हो ?
कही तुमने जुर्म के
खिलाफ
कविता तो नहीं
लिख दी
कही भदेश भाषा के
अनगढ़ शब्दों तो नहीं
पिरो दिये
जो सारे गिद्ध
तुम्हे नोच खाने को
उतावले हैं
पर कवि तुम डरना
नहीं
इन बेइमान गिद्धो से
आज तक इन्होंने ही
रोक रखी थी
मानव बनने की
राह
और जब तुम जैसा
निर्भीक कवि
इन्हे चुनौती दे रहा है
ये डराने के सारे
भोथरे
उपाय कर रहे हैं
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