ये जो धतूरे हैं
चाहते हैं कुछ कहना
पर वे नही चाहते
सुनना
न ही चाहते हैं
शरीक होना
इनकी खुशी के
पलों में
न ही गम के
आंसुओं में
पर वे चाहते है
इनकी सुन्दरता को
नकारना
और अपनी मनोकामना
पूर्ण करना
हम नही चाहते
दूसरे भी हो सकें
लाभांवित इनसे
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