Tuesday 29 November 2016

*****तुम कहते हो चुप रहूं*****

तुम कहते हो
चुप रहूं
मेरे बोलने से खटती है
देशभक्ति
जो भी करो तुम
मूक दर्शक बन
मात्र श्रोता बन
बैठा रहूं
यदि बोलना भी चाहूं
तो तुम्हारी भक्ति के
कसीदों में बोलूं
करीनों सा उन्हे
सजाऊं
जिन्हे तुमने तैयार
किये हैं
मेरी मौत के समान के
रुप में
आखिर यह सब जानते हुए भी
तेरे पक्ष में कैसे बोलूं
कैसे खुद की
हत्या जैसा
जघन्य अपराध
अपने ही हाथों से
कर लूं

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