सौदागरों के शब्द
बुनते हैं
भाषाओं के मखमली जाल
जिसे
महसूसा जा सकता है
क्षण के आखिरी पड़ाव तक
और उस उलझाव में
किया जा सकता है
बिना किसी लाव लश्गर के
बात करने का
तकल्लुस
बजाये जा सकते है
बेसुरे राग
उड़ाये जा सकतें हैं फूलों से
वफादार मक्खियों के झुण्ड
जिन्होने चूसकर
पुष्प रस
तोड़ दी
सारी सीमाएं
अपने मक्खी होने की
सौदागरों के शब्द
बुनते हैं
भाषाओं के मखमली
जाल
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