शहर की सड़क पर
कपड़ों के नाम पर
फटे चीथड़े पहने
कूड़ा बीनते हुए मासूम बच्चे
नन्हे कन्धों पर जिम्मेदारी को बोझ
उठाये हुए
खोने के डर से
नन्ही मुट्ठियों से
थैले को दबाये हुए
लगातार खोज खोज कर
शहरी अपशिष्ट से
बढा रहा था थैले का आकार
जिसमे बसता उसका
छोटा सा संसार
वह नही जानता
बहुत से दुनियावी खेल
क्योंकि वे सभी
उसकी पहुँच से बहुत दूर है
जिन्हे चाहकर भी
वह नहीं खेल सकता
उसके लिए तो मात्र
कुछ काँच की बनी गोलियां
और एक पैर से खेला जाने वाला
खेल ही
दुनिया का सबसे विशिष्ट खेल है
जिसका वह बेताज बादशाह है
इसके अतिरिक्त
न तो वह कोई खेल जानता है
न ही उसे मिलती है फुर्सत
क्योंकि उसके हर खेल के साथ
थैला होता है
और थैले के साथ उसका हर खेल
जो कूड़े के ढेर शुरू होकर
उसी में सिमट जाता है I
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