Wednesday, 22 January 2020

शहर की सड़क

शहर की सड़क पर
कपड़ों के नाम पर
फटे चीथड़े पहने
कूड़ा बीनते हुए मासूम बच्चे
नन्हे कन्धों पर जिम्मेदारी को बोझ
उठाये हुए
खोने के डर से 
नन्ही मुट्ठियों से
थैले को दबाये हुए
लगातार खोज खोज कर
शहरी अपशिष्ट से 
बढा रहा था थैले का आकार
जिसमे बसता उसका
छोटा सा संसार
वह नही जानता
बहुत से दुनियावी खेल
क्योंकि वे सभी 
उसकी पहुँच से बहुत दूर है
जिन्हे चाहकर भी 
वह नहीं खेल सकता
उसके लिए तो मात्र
कुछ काँच की बनी गोलियां
और एक पैर से खेला जाने वाला 
खेल ही
दुनिया का सबसे विशिष्ट खेल है
जिसका वह बेताज बादशाह है 
इसके अतिरिक्त
न तो वह कोई खेल जानता है
न ही उसे मिलती है फुर्सत
क्योंकि उसके हर खेल के साथ
थैला होता है 
और थैले के साथ उसका हर खेल
 जो कूड़े के ढेर शुरू होकर
उसी में सिमट जाता है I

No comments:

Post a Comment