वे बार बार खोदते हैं
अपनी चतुराई के गड्ढे
और उसमें खड़ी करते हैं
पेंचो खम की
बहुत सी अनुलंधनीय दीवारे
जिनकी रक्षार्थ नियुक्त करते हैं
बाकायदा प्रशिक्षित भृत्य
देते है जिन्हे
पगार के रूप में
स्वार्थ प्रेरित लिजलिजी
बातो की हुंडियां
जिसकी चकमक में
खो देते हैं अपनी चमक
सारे आदर्श और कर्तव्य बोध
बावजूद इसके वे
लगातार जुटे रहते हैं
निरन्तर खोदने में
हिकारती गड्ढे
इस प्रकार वे बेखौफ हो
लागू करते हैं
अपना घृणित एजेण्डा
जिसकी जद में आता है
सभ्य समाज का बहुत बड़ा हिस्सा
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