Tuesday, 14 January 2020

****खत्म होती****

खत्म होती जा रहीं हैं
धीरे धीरे
मानव के प्रति मानवीयता की
समस्त सीमाएं
समय के साथ साथ
बदल रही हैं
बहुत ही तेजी के साथ
रिश्तों के बीच की तपिश
जिनकी जिम्मेदारी
उठाते हैं
मानव अहं जन्य भाव 
जिन्हे भड़काने का कार्य करते हैं
कुछ निहित स्वार्थ
एवं उनके संचालक लोग
रोपदेते हैं जो बड़ी ही 
खूबसूरती के साथ नफ़रती अमरबेल
जिनकी जड़ों के चंगुल में
आ जाते है
बहुत निरपराध पौधे 
एवं उनकी शाखाएं
ठीक उसी प्रकार होते हैं
जैसे कुछ शातिर लोग
और उनके कुनबे
आमादा होते हैं खत्म करने में 
हंसते खेलते परिवारों को

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