Sunday 19 January 2020

*****अफीमचियों का प्रेम*****

अफीमचियों का प्रेम ही है
कोई सेवन करता है
नशे के रूप में
कोई नफे के लिए
दोनो का वह प्रेम ही है
जो जोड़े रहता है 
उन्हे एक दूसरे से 
इच्छा न होते हुए भी
एक सरकता है धीरे से 
और पूंछता है करीब आने पर
क्या अफ़ीम लोगे ?
दूसरा कहता ही नहीं 
बल्कि भरता है 
नकार के साथ हामी भी
अफीम के प्रति ।
क्योंकि अफीमचियों का प्रेम 
होता ही ऐसा है
जो लाख बुराइयां होने के बावजूद
बना रहता है
एक दूसरे से पूर्व की भाँति 
स्थिर और मजबूत

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