Wednesday, 3 October 2018

****बचा नहीं पाओगे *****

अब तुम्हे छोड़नी होगी
अपनी स्वामिभक्ति
तुम्हे फिर से फूकना होगा
अन्याय और षड़यन्त्र के विरूद्ध
संघर्ष का विगुल
तुम्हे फिर से परिभाषित करने होंगे
स्वामिभक्ति के हानि लाभ
तुम्हे हटानी होगी
चमकीले पोष्टरों से
खुद की नज़र
और देखनी होगी
मज़हवी आग में झुलसती
बेतरतीब दुनिया का अक्स
तुम्हे सीखना होगा
हकीकत और फरेब के बीच
अन्तर करना
तुम्हे समझनी होगी
नफ़रत और प्रेम के बीच की खाई
तुम्हे मिटाना होगा
नफ़रती आग
जिसमे झुलसकर तबाह
हो चुके हैं
तुम्हारे और हमारे घर
यदि तुम अब भी खामोश रहे
तो समझ लो
तुम्हारी ही संततियां नकार देगी तुम्हे
और तुम चाहकर भी
बचा नहीं पाओगे खुद को

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