Friday, 5 October 2018

***** वर्जनाओं के विरुद्ध******

तुम्हारी वर्जनाओं के
विरुद्ध
तनी हुई मुट्ठियों में
अभी भी इतनी सामर्थ्य
बची है
कि तुम्हारे विरुद्ध भर सके
हुंकार
और दर्ज करा सके
अपना प्रतिरोध
यद्यपि तुम्हारी हेकड़ी को
यह स्वीकार नहीं
बावजूद इसके
भिची हुई चबुरियां और
तने हुए हाथ
तुम्हारे विरुद्ध कर देंगी
इकबाल बुलन्दी का
जयघोष
तुम्हारी क्रूरताएं भी
रोक नहीं सकती
हक के लिए बढते हुए
उनके कदम
अब फैसला तुम्हारे
हाथ में है
कि बचे हुए समय में
जमीनदोज होती
आस्मिताएं बचाने का
प्रयत्न करते हो
या फिर घुटकर
दम तोड़ने के लिए
छोड़ देना चाहते हो ।

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