Tuesday 23 October 2018

***** अतीत के ज्वालामुखी*****

खत्म होने का नाम ही
नहीं लेती
तुम्हारी यादें
जब भी चाहता हूँ
लिखना
कोरे कागद पर
स्मृतियों के कुछ लफ्ज
ठहर जाती हैं कलम
और ठिठक जाता है
हौसला
ताजा हो जाती हैं
विस्मृत हो चुकी
इबारते
भरने लगता है
ऊहापोह युक्त मन में
उमंगों का लावा
और बेताव हो उठता है
फटने को
वर्तमान में खोया हुआ
अतीत का ज्वालामुखी

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