Wednesday, 10 October 2018

**** सूरज की सुनहरी किरणों से पूर्व ****

सूरज की सुनहरी किरणों से
पूर्व ही
शुरू हो जाता हैं
पखेरूओं का कोलाहल
रंभाने लगती हैं
दुधारू गायें और उनके बछड़े
खेतो में जाने को
उत्सुक होने लगता है
कृषकवीर
और खुश हो जाती हैं
बूढी मांयें
डरावनी लम्बी रात्रि के
खत्म होने पर
चहकने लगते हैं
आंगन के चक्कर काटते
मासूम बच्चे
खुशी से फूलकर कुप्पा हो
उठती है
कोने में दुबकी बैठी
बिल्ली
सुनाई देने लगता है
एक ऐसा स्वर
जो हमेशा ही रात्रि के
मौन के पश्चात
सूबह होने पर
सुनाई देता है
व्यक्त में अव्यक्त को
समेटे हुए ।

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