पुलों के ढहने पर
मुस्कुराते हैं
कुछ चेहरे
जैसे बादल को देख
मुस्कुराता है
ग्रीष्म के ताप से तपा हुआ
किसान
गर्मी और उमस से परेशान
आदमी
सूखे तालाबों में विहार को
उत्साहित खेचर
प्रफुल्लि हो उठता है
जन समुदाय
वैसे ही खुशी से झूम उठते हैं
कुछ चेहरे ।
पुलों के ढहने पर
सहम जाते हैं
उन पर भरोसा करने वाले लोग
वे उठाते हैं
पूरी ताकत के साथ
पुल के ढहने पर सवाल
क्योंकि पुलों के साथ
ढह जाते हैं
उनके विश्वास
पर कभी नहीं हो पाती
उजागर
पुलों पर धांधली की बात
क्योंकि जांच से भी ज्यादा
ताकतवर होते हैं
धांधली करने वाले लोग ।
पुलों के ढहने पर
मुस्कुराते हैं कुछ चेहरे
और जुट जाते हैं
नये पुलों के प्रस्ताव के लिए
सोंच से भी अधिक
तत्परता के साथ
पा लेते हैं
नये पुल के निर्माण का
प्रस्ताव
फिर से शुरू होता है
पुलों के बनाने बिगाड़ने का
कभी न खत्म होने वाला खेल I
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