वे सच में तलेंगे
पकौड़े
क्योंकि उनकी सोच
अभी भी पकौड़े से आगे
नहीं बढ सकी है
सच मानों
पकौड़ा तलना कोई आसान
काम नहीं होता
किसी अंजान व्यक्ति के लिए
उसमें भी ध्यान रखना होता है
आँच की उच्चता और निम्नता का
और साथना पड़ता
चापलूसों की लपर लपर
करती जुबान को
और खड़ी करनी पड़ती हैं
अपनी हाँ में हाँ मिलाने वाले
वफादार कारिन्दों की पूरी फौज
जो तलने से लेकर
जायके तक के गणित का
विस्तार से कर सके बखान
वे सच में तलेंगे पकौड़े
आज बातों के
और कल जज्बातों के
क्योंकि सोच
और पकौड़े तलने के
अंदाज में
बहुत अधिक फर्क नहीं होता
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