Wednesday, 19 June 2019

****घातक बन चुके धुंए के रूप में****

घातक है
बच्चों का मरना
क्योंकि बच्चों का मरना
मात्र बच्चों का
मरना नहीं है
न ही यह घटना मात्र है
बल्कि यह एक दुर्घटना है
दम घुटती
संवेदनाओं की
नियति के द्वारा
बार बार जिसे दुहराया जा रहा है
हर बार की तरह
इस बार भी गायब
कर दिया जायेगा
सरकारों और डॉक्टरों के
आरोपों प्रत्यारोपों के बीच
महत्वपूर्ण यह मुद्दा
जांच के नाम पर
गठित कर दी जायेंगी टीमें
और हम भूल जायेंगे
एक बार फिर से
अभिभावको और बच्चों के
उत्पीड़न का दंश
कुछ एंकरनुमा अजीब जीव
अपनी आयेंगे अपने
रौबीले अंदाज में
और फिर से करेंगे
पीत रिपोर्टिग
जिसके एवज में
उन्हें कर दिया जायेगा
पुरस्कार द्वारा उपकृत
इसी के साथ दब जायेंगी
पूंजी और सत्ता की
हनक के बीच
दम तोड़ती
सिसकती किलकारियां
और स्वीकार कर लेगा
नियति का खेल मानकर
हांसिये पर खड़ा बन्दा
कुछ समय के रुदन के पश्चात
पुनः मिल जायेगा
झण्डा थामे हुए
उन्ही झण्डाबदरों के साथ
जिन्हे उससे अधिक
फिक्र होती है
अपने कुनबे को
सुरक्षित रखने की
इस प्रकार अनवरत
चलता रहेगा
बच्चों के मरने और मारने का
शाश्वत क्रम
और चलता रहेगा
नेताओं के बिगड़े बोलों का
खौफनाक खेल
सेंकी जाती रहेंगी
स्वार्थ की रोटियां
परोसा जाता रहेगा जिन्हे
चुनाव के वक्त
लालच के घी में डुबोकर
और खेमों में बंटे हम
आतिशबाजियों के साथ
स्वागत के जयघोष में
उड़ा देंगे
मरते बच्चों की
चीखती सांसे
गुबार बन चुके धुंएं के रूप में |

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