बच्चे मर रहें है
चमकी के कहर से नहीं
बल्कि चमकी के भय से
जिम्मेदार खामोश हैं
चमकी की चमक से
रैलियों मे साथ रहने वाले
निकल चुके हैं
राज्य की परिधि से
बहुत दूर है
नीति नियन्ता व्यस्त हैं
डाक्टरों की सुरक्षा में
महामहिम इंतजार में हैं
किसी अमीर बच्चे के
मरने के
चुंधिया गई हैं
मीडिया की आंखे
वे नहीं देख पा रहीं
बच्चों के बिगड़े हालात
उन्हे बच्चों से अधिक
लापरवाह डॉक्टर का पिटना
बड़ी घटना लग रही है
लोग सहमें हैं
चमकी के कहर से नहीं
बल्कि अपने खेवनहारों की
बेरुखी से
जो अकारण ही
पहुँचा दिये जाते हैं
उनको और उन जैसे
तमाम लोगों को
चमकी जैसे बुखार के
मुहानों पर
जहाँ से बच निकलना
वैसे ही नहीं होता आसान
जैसे हासियों को त्यागकर
नई लीक बनाना ।
Monday 17 June 2019
*****बच्चे मर रहें हैं****
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