क्या सच में अंधेरा
उतना ही भयावह है
जितना उसके बारे में
कहा और सुना जाता है
और उजाला
उतना ही उजला है
जितना उसके बारे में
प्रचारित और प्रसारित किया जाता है
शायद हम गुमराह हैं
अंधेरा न तो उतना
भयावह होता है
जितना कहा और सुना जाता है
और उजाला
उतना भी उजला नहीं होता
जितना प्रचारित और प्रसारित किया जाता है
वरन उजाले से भी अधिक
वफादार होता है अंधेरा
जो साये की तरह रहता है
ताउम्र साथ
तुम्हारे अस्तित्व की तरह
अनाम सहचर सा
तुम्हारे सभी काले पक्षों को
अपने में मिला कर
दिखने लगता है काला
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