Thursday, 12 January 2017

****खुशियों के बीच****

खुशियों के बीच सदा
खड़ी रहती हैं
पेंचोंखम की मजबूत दीवारें
जो खरीद लेना चाहती है
खुशियां और खुशियों के
ठौर
वे रोक लेना चाहती है
नजदीक आती खुशियों के
प्रत्येक क्षण
किन्तु उन्हे खोज ही लेते है
बच्चे ,गुब्बारे
और गुब्बारे वाले
बावजूद इसके छीनने पर
आमादा रहती है
क्रूर पवन
जो मिटा देना चाहती है
तीनों का वजूद
क्योकि खुशियों के बीच सदा
खड़ी रहती हैं
पेंचोंखम की मजबूत दिवारें ।

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