Tuesday 17 January 2017

****चीथड़ों में लड़की****

चीथड़ों में लड़की
या यूं कहें
उन्ही में गड्ड मड्ड
शीत में ठंड से
खुद को खुद में
समेटती
रहने के ठौर से
अलगाई गई
पेड़ से टूटी डाली सी
अस्त वयस्त वह
कौन सा होगा उसका घर ?
वह क्यों सड़क पर ऐसे
सोती है
क्या बेटी बचाओ का
हिस्सा है वह
या फिर मात्र फीता
काटकर
फोटू सोटू खींचकर
बाहवाही पाने
का नायाब नुस्खा
क्योंकि वह सब जगह है
भाषणों में प्रवचनों
खुदा की नियामत में
ईशू के गिरजाघरों में
मंदिरों के परकोटे मे
भिखारियों के झुण्ड में
श्रमिकों की रगों में
किसानों के खेत में
मां की मजबूर आँख के
कोरों में
लेकिन वह नहीं है
हकीकत के मानदण्डों में
इन सबसे बेखौफ वह
नींद में बुदबुदाती है
और मुस्कुराती है
क्योकि उसे मालूम है
यह जो बेचारगी के
आंसू लिये लोग हैं
इनकी बेचारगी
और उसकी हकीकत में
कोई तालमेल नही है

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