Friday 13 January 2017

****विद्रोह की संभावनायें****

आखिर हर बार
हम क्यों काट देना चाहते हैं
पतंग
और कतर देना चाहते है
उड़ने वाली उसकी
उमंगों के पर
जो बेताब हैं
आकाश का कोना कोना
स्पर्श करने को
क्या हम उड़ानों से
ऊब चुके है
या फिर हमे पसन्द
नहीं है
पतंगो की इतनी
स्वच्छन्दता 
इसीलिये वह छीन लेना
चाहते हैं
औरों के हिस्से का आकाश
या फिर हम नहीं चाहते बाँटना
खुशियों के चन्द कतरे
या फिर आजादी से
अधिक हमे पसन्द है
गुलाम बनाये रखना
जिससे खत्म की सकें
विद्रोह की सारी संभावनाएं

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