खरगोश देख
याद आ जाती है
हरी घास
चकोर देख
याद आ जाता है
चांद
चातक देख
याद आ जाता है
बादलों से घिरता
रूमानी आकाश
चीथड़े में लिपटे मासूम
देखकर
याद आ जाता बचपन
यह सहज सी
दिखने वाली वस्तुएं
इतनी सहज नहीं होती
जितनी सोची और
समझी जाती हैं
इनको समझने के लिए
समझना होता है
दोनो के जमीनी
ताल्लुकात
और परिभाषित करने होगे
उनके और उनके के बीच
अदृश्य रिश्ते
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