Tuesday, 7 March 2017

****अनायास ही नहीं*****

अनायास ही नहीं पहुँच जाते
ध्वनियों के संदेश
दिल की गहराई तक
वरन् वे प्रेषित किये
जाते हैं
भावनाओं में गहरे
सहेजकर
जिससे आसानी के साथ
वे पहुँचाये जा सकें
हृदय की
अनुनादी सतह तक
और की जा सके
उनमें गुणात्मक वृद्धि
जिससे उनको बनाया जा सके
और अधिक प्रभावी
और करवाई जा सके
सहज ही हुक्म की
तामील
पीड़ादायी आवाजों के
बीच सुरक्षित रखा जा सके
उनका सिंहासन और
रुतबा

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