Tuesday 21 March 2017

****संवाद और वाद****

संवाद और वाद
मिलकर
क्यों रचें
एक सफ्फाक सच
जबकि अवसाद
और प्रसन्नता
के मध्य रीत चुका है
बहुत कुछ
बावजूद इसके हमे
रखनी होंगी
फिर से नई
बुनियादें
तय करनी होंगी
सीमायें
संवाद और वाद के
बीच
जिससे समझी जा
सकें उनकी
गहनता
खोजे जा सकें
जिससे भ्रम और उन्माद
के असल मकसद
और रोके जा सके
संवाद और वाद के
मध्य के गहराते विभेद

No comments:

Post a Comment