Tuesday, 7 March 2017

*****तुम्हारी पूजा में मानव नहीं है****

तुम्हारी पूजा में
मानव नहीं है
पत्थर है
देवता
पत्थर है
अल्लाह
और पत्थर है
ईसा
इसके बावजूद भी
तुम
बात बात पर
लड़ते हो
कभी धर्म की
ताकीद देकर
कभी देश की
दुहाई देकर
और कभी क्षेत्रवाद का
ज़हर घोलकर
कभी जातिवाद का
घिनौना खेल
खेलकर
क्या तुमने कभी
सोचा है
क्या तुमने कभी
खुद को पहिचाना
या फिर तुम मिटा देना
चाहते हो
खुद ही अपनी
पहिचान
या फिर तुम भी बन जाना
चाहते हो
जीता जागता पत्थर
शायद पत्थरों के साये में
रहते रहते तुम भी
तब्दील हो ग़ये
पत्थर में
और तुम समझ ही
नहीं पाये
यह कब और कैसे हुआ ?

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