Saturday 24 December 2016

****एकान्त में झांकती****

लड़की जब अपने एकान्त में
झांकती है
उसे दिखाई पड़ती हैं
बहुत सी जानी पाहिचानी
धूमिल रूहें
जिनमें वह खोजती है
अपनी ही खोई हुई रुह
और खो जाती है
अपने ही खोये वजूद में
वह बार बार करती है
प्रयत्न
अपने वजूद से निकलने का
फिर भी वह निकलने में रहती है
असफल
क्योंकि लड़की और उसका वजूद
मिलकर हो जाते है एक
जिनमें से एक को अलग करना
दूसरे को खत्म कर देना है

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