*****अंधेरे के खिलाफ*****
यह सन्नाटा जो
पसरा रहा है
धरती के ओर से
छोर तक
विराम दे रहा है
आकांक्षाओं अपेक्षाओं को
दिन के सघन वियावन के
बीच
घोल रहा है चुपके से
कुछ हसीन ख्वाब
जो देखे जा सकते हैं
सघन अंधेरे के साये में
अंधेरे में खुलते
रोशनदान
डरे सहमे स्वप्नों को
हौसला दे रहा है
अंधेरे में
अंधेरे के खिलाफ
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