Monday 19 December 2016

*****अपनी बारी के इंतजार में*****

मुस्किलों के मध्य
अभी जिन्दा है उसका वजूद
रेत के पेट
खोजता वह कोहिनूर
पेट पर तन्त्र की मार सह
सूखता तन झाँई साथ
घिसट घिसट चलता वह
समाधान की चाह लिए
छोड़कर सभी काम धाम
लगा है लम्बी कतार
कोई छह इंची लाल कार्ड
ऊंची है जिसकी धोती
खींच खांच फिट करने की
भिड़ा रहा जुगत
जिद है उसकी
कतार माप की
इसीलिए बेवजह ही सही
खड़ा है वह
अपनी बारी के इंतजार में

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