हाँ !
वे आदमी ही हैं
जो प्रयासरत हैं
विषधर बनने के लिए
इसके निमित
बाकायदा उन्होने शुरू कर दी हैं
तैयारियां
मसलन फुफकारने,
डसने और घिसलकर
चलने की
अब वे मानने लगें है
खुद को विषधारी
उनका यह मानना
कोई अचानक घटी घटना नहीं है
ना ही उनका फितूर है
बल्कि इसके पीछे
छिपा हुआ है
उनके विषधर बनने का
पूरा इतिहास
जो किये हुए है
आदमी से उनका
अलगाव
और वे आज भी हैं
अभिशप्त
सर्प बनने के लिए
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