आदेशित कर दो
तिजारती शब्दों को
क्योंकि यह माकूल समय नहीं है
धूर्तों की धूर्तता के लिए
करवा दो शब्दों की मुनादी
कि वापस लौट जायें
दरबों की ओर
क्योंकि फिराक में बैठे हैं
घुसपैठ की
बहुत से घुसपैठिये
जो घूम रहें हैं
बेखौफ
उनके वकतव्यों एवं हाव भाव से
समझी जा सकती है
उनकी पक्षधरता
अनदेखा कर दिया गया है
श्रम और उसका महत्व
अब खोजी जाने लगीं है
आकाश में तिरते स्वप्नों में
मनुष्य होने की समस्त
सम्भावनाएं
फन्दों में झूलती लाशों के
जेहन में भरी जा रहीं हैं
भ्रमित करने वाली
भ्रामक कल्पनाएं
जिससे झुठलाई जा सकें
कराहती आवाजों की झिर्रियां
अब इन पर सोचना
विचार व्यक्त करना प्रतिबन्धित है
जिन पर सोचना और विचार करना
आता है संगीन
अपराध की श्रेणी में
जिसे क्षमा किया जाना
मानवता के प्रति घोर अन्याय है
देशहित मे
जिसका रोका जाना
निहायत जरूरी है
Thursday, 22 August 2019
****निहायत जरूरी है***
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