क्या तुम तैयार हो ?
ओढी दसाई
मानसिकता ओढने के लिए
यदि हां
तो निश्चित रूप से
तुम दे रहे हो खुद को
धोखा
क्या तुम तैयार हो ?
आदिम परम्पराओं की ओर
जाने के लिए
यदि हां
तो निश्चित रूप से तुम
ढोंग कर रहे हो
अपने आप से
क्या तुम उत्सुक हो ?
कर्म के वगैर इच्छाओं की
पूर्ति के लिए
यदि हां
तो निश्चय ही तुम
भटक गये हो
अपने मार्ग से
क्योंकि इस प्रकार का
तुम्हारा नवीनता के प्रति
उदासीन व्यवहार
तुम्हे बना देगा एक दिन
अप्रसांगिक
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