वे आज भी
डरते है
तमाम सुरक्षा इंतजामों के
बावजूद
Z औरy जवानों की
पुख्ता निगहबानी में
तमाम नीतियां से
सुरक्षित
बनाये जाने पर भी
तमगों के ऊपर तमगें
टांके जाने और
ईमानदारी और हितैषी
होने का
दावा पेश करने के
बावजूद भी
वे डरते हैं
गरीब निहत्थे लोगों के
खाली पेटों और उठे हुए
हाथों से
जो कांपती रूह के
साथ
बुलन्द करते हैं
खौफ के विरुद्ध
अपनी आवाज
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