एक मौन
शून्य
कुछ अनकहे
शब्द
ताराखचित नभ का
ओर छोर
और उसमे खोया हुआ
एक मासूम सा तारा
झिलमिलाती रोशनी
और डूबते उतराते चेहरे
जानने समझने की
नाकाम कोशिशें
रचती हैं
एक रहस्यमयी
वियावन
जहां पर खत्म हो
जाता है
अंधेले और उजाले का
फर्क
और खत्म हो जाता है
धरती और आकाश का
अन्तर
और खत्म हो जाते
वे सारे भेद
जिनके कारण अक्सर
पैदा हो जाते है
गहरे मतभेद
जिनसे निकलने की
कोशिश में
चले जाते है
और गहरे धंसते
No comments:
Post a Comment