Thursday 9 February 2017

****क्योकि****

क्योकि संसद से सड़क तक
खड़े हैं वे बाँह उठाये
रोटी में भी आता है
खोट नज़र
बदली भाषा बदले रूप
तू डाल डाल तो
मैं पात पात की
हुई अब खाप खाप
क्योकि संसद से सड़क तक
खड़े है वे बाँह उठाये
क्या घनश्याम क्या दादूराम
क्या वाहे क्या रहमान
छौनी नौनी के बीच
छाते को आया बुखार
क्योंकि संसद से सड़क तक
खड़े हैं वे हाँथ उठाये
दल्लो की सजी मंडिया
मड़िया संग मड़िया हाईटेक
औकात क्या किसकी
बेंच रही जमातें सारी
बिकने को आते सब
बारी बारी
तुला रख रोटी बांटता बंदर
तोड़ तोड़ कौर
मजे से खाता बंदर
क्योंकि संसद से सड़क तक
खड़े हैं वे हाँथ उठाये |

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