Saturday, 11 February 2017

****उन्हे डर है****

उन्हे डर है,
तुम्हारे शब्दो की
तेज धार से
छिलने का नही
अपितु कटने का
क्योकि उन्हे मालूम है
तुम्हारे हर्फों में
छुपे हैं
जीवन के सपने
आसमान की ऊंचाइयाँ
सागर की अतल गहराइयाँ
जो किसी भी
बम और पिस्तौल से
अधिक घातक हैं
तुमने संजो दिये हैं जिनको
इन मुट्ठी भर किताबों के
बीच
जो उम्मीदों की एक कृषकाय
किरण को
कभी भी ज्वालामुखी सा
भयंकर बनाने का रखते हैं
माद्दा
और दे सकते हैं
सपनों के तलासने का
माकूल रास्ता
उन्हें  तलाश है
सपनों को सपनों से बाहर
निकालने वाले
कर्मयोगियों की
जिससे बदले जा सकें
सपने और सपनों के मायने
और उनके हाथों में थमाये जा सकें
रुनझुन बजने वाले झुनझुने
इतने सब के बाद भी
सपनों के सामने
छोटे पड़ जाते  है
सपनों को खत्म करनें के
सारे हथकण्डे
और दिन प्रतिदिन
बढ़ती ही जा रही है
स्वप्न दृष्टाओं की
तादाद
और बढती जा रही है
स्वप्नों की अहमियत |

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