Tuesday, 7 February 2017

*****नकचढ़ी हो गई दिल्ली*****

नकचढ़ी हो गई है
दिल्ली
तीन तिकड़मी
नज़र चढाये
नाक भौं सिकोड़ती
दिल्ली
नये कुतर्क के साथ
जलालत के रंग
उभारती
नकचढी हो गई है
दिल्ली
दल्लों के गल्लों सी है
सज्जादों के लफ्जों में
गुलेल लगाती
अपने ही अपने में
मशगूल रहती
पुरस्कारों की खोह सी
बहुधंधी सी
नकचढी हो गई है
दिल्ली

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