Wednesday 20 May 2020

****वाह गुज्जू भाई****

वाह गुज्जू भाई
तुम तो कमाल करते हो
आफत की इस घरी में भी
खुद को लाल कहते हो
लम्पट संग चलकर चम्पई चाले
बन चुके हो रम्पत 
क्या सुर्ख अंदाज है तुम्हारा
क्षण में ही काम तमाम करते हो

वाह गुज्जू भाई
तुम तो कमाल करते हो
घालमेल की खिचड़ी खाकर
धमाल करते हो
रिश्वत,बेइमानी और मक्कारी को
बदल देते हो सहज ही 
गोलमाल की नव परिभाषाओं में
उठती हुई उंगलियों को बुरी तरह मरोड़कर कर देते हो हमेशा के लिए निरर्थक 

वाह गुज्जू भाई
तुम तो कमाल करते हो
विश्व मोहनी सी सूरत पर 
मुस्कान लाकर
तालियों की तीलियों से ही
भुवन को लहूलुहान कर
बड़ी ही साफगोई से
पोत देते हो
सच पर फरेब की कालिमा

वाह गुज्जू भाई
तुम तो कमाल करते हो
धनुवा हो या फिर हो रमुवा
सुनने को तुम्हारे शब्दों की जुगलबन्दी
बेताब रहते हैं
और नवाजते हैं तुम्हे आशीष
तालियों की गड़गड़ाहटों से
जो करती रहती हैं तुम्हारे अन्तस में
उत्साह का संचार
और गूंजती रहती हैं सदा ही
दिल दिमाग के आस पास ।

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