Saturday 9 February 2019

*****शायद वे तोड़ना चाहते हैं*****

शायद वे तोड़ना चाहते हैं
तुम्हारी हड्डियां
शायद उन्हे जाननी हो
तुम्हारी हड्डियों की
मज़बूती
या फिर उन्हे सता रहा हो
तुम्हारी ताकतवर
हहुियो का भय
या फिर मिटा देना
चाहते हो
भय और हड्डियों के
बीच के फासले
और बिखेर देना चाहते हों
फिजाओं तक समरसता की
खुशबू
जिनसे लाभान्वित हो सकें
आने वाली सभ्यताएं
और उनको मानने वाले
सभ्य लोग
और हतोत्साहित हो सके
दुष्टता की पोषक
सभ्यताएं
प्रद्युम्न कुमार सिंह

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