Thursday, 18 April 2019

****शाख से टूटे पत्ते की तरह*****

उन्हे आता है
कतरों कतरों में बांटने का
हुनर
इसीलिए वे करते हैं
हमेशा अलग डालों से पत्ते
और हर बार कर देते हैं
वही पुरानी भूल
जिसमें बनी रहती है
हुचने की पूर्ण सम्भावना
इस तरह वे लगे रहते हैं
शिद्दत के साथ
कार्य की पूर्ति में
हमें तो डर है कि
एक दिन भारी न पड़ जाय
उन्ही पर
उन्ही का हुनर
और बांट दे उन्हे भी
कतरों के रूप में
यद्यपि बहुत से लोग
नही रखेंगे
इससे इत्फाक
बावजूद इसके दुहरता रहेगा इतिहास
घूमेगा समय का पहिया
और बदलेगा मौसम का मिजाज़
तब बंटा होगा
कतरों कतरों में गणितों का
हिसाब किताब
समय के स्यापे में
तब्दील हो चुका होगा
दमकता हुआ चेहरा
एकदम आकर्षण विहीन
झांईदार झुर्रियों में
शाख से टूटे पत्ते की तरह

No comments:

Post a Comment