Monday, 15 April 2019

**** केन के पथ पर*****

केन के पथ पर
कल मैने
केन के सारस को देखा
उमड़ते दर्द को
हाल बेहाल देखा
डग भरते कदमों का
ठहराव देखा
सुगठित जीवन का प्रथम
बिखराव देखा
ठिठके थे कदम जहां पर
वहीं से चलता जीवन
उद्दाम देखा
फिजाओं में खुशबू घोलता
अरूणिम गुलाब देखा
उघड़ती रहीं एक एक करके
बीते लम्हों की स्मृतियां
मानों खिलता हुआ
कचनार देखा
समेट रहा था रश्मियों को
दिनमान धीरे धीरे
जैसे जिन्दगी उदास रही हो
जीवन की खिली हुई
पंखुड़ियां
पीड़ा को भी मात देता ऐसा
चरित्र नायाब देखा
उठायेे हुए सिर पर वेदना की
भारी गठरी
बांटता था फिर भी
खुशियों के अवशेष क्षण
ऐसा रौबीला इक
इंसान देखा
बाकी थी चन्द सांसे ही
उसकी
लड़ रहा था केन सा
पूरी ताकत से साथ

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