Thursday, 16 September 2021

तुम्हारी आँखों में

तुम्हारी आँखों में तैरते हैं
बहुत से हसीन सपने
बहुत सी अनछुई स्मृतियाँ
बहुत से सहमें हुए एहसास
और सामाजिक सरोकारों से सम्बन्धित 
बहुत सम्भावनाएं
जो कुरेदते हैं
तुम्हारी चेतना और अन्तःकरण को
फिर भी तुम बोलते हो
नहीं फटकते सपने मेरे पास 
मेरी आंखों की पुतरियों में
नींद के अतिरिक्त नहीं होती
किसी वस्तु के लिए कोई जगह 
शायद तुम भूल जाते हो
तुम्हारा एक झूठ
घोषित कर देगा तुम्हारे चरित्र को 
दोयम दर्जे का

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