वह कौन है
जो जरूरतों के बहाने
चुरा रहा है
धरती का हरापन
वह कौन है
जो विकास के बहाने
छीन रहा है
पहाड़ का पहाड़पन
वह कौन है
जो सुगम आवाजाही के बहाने
रोक रहा है
नदी का स्वच्छद बहाव
वह कौन है
जो परियोजनाओं के बहाने
उजाड़ रहा है
बसे बसाये गाँव और उनका गाँवपन
वह कौन है
जो लोकहित के बहाने
नष्ट कर रहा
मानव और जंगल के सम्बन्धों को
समय रहते यदि
तुम समझे नहीं और रोका नहीं
तो एक दिन आयेगा
जब वह तुम्हारी ही आंखों के सामने
निगल जायेगा
तुम्हारे खेत, तुम्हारे जंगल,
तुम्हारी नदियां, तुम्हारे पहाड़,
तुम्हारे रिश्ते, तुम्हारा सौहार्द्र
तुम्हारा पुरुष, तुम्हारी स्त्री
और बहुत कुछ
क्योंकि दिन प्रति दिन
बढती ही जा रही है
उसके चबाने और पचाने की शक्ति
जिससे बच पाना
तुम्हारे लिए आसान नहीं होगा
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