मुर्दो के हर्फ नहीं होते
इसीलिए वे !बात भी नहीं कर सकते
श्रवण क्षमता नहीं होती
इसीलिए जिन्दा जबाने
सुन नही सकते
माद्दा नही
फासले तय कर सकें रास्ते
इतलिए उनके जरूरी होते हैं
चार कंंधे
जिनके सहारे तय कर सकें दूरियां
बोलना, सुनना
और चलना
मुर्दों का नहीं
जिन्दा कौमों का हुनर है
जिनमे यह होता है वे
जिन्दा होते हैं
जिनमे नहीं होता
वे मुर्दा
पर अफसोस !
आज जिन्दा कौमें
बढ़ रही है
मुर्दापन की ओर
और मुर्दे और श्मशान
दोनो खुश हैं
बढती हुई अपनी आबादी
देखकर
No comments:
Post a Comment