Wednesday, 31 July 2019

**** इस शाख से उस शाख तक*****

श्मशानों में ही नहीं रहते हैं मुर्दे
उनका कोई
निश्चित गाँव भी नहीं होता है
वे तो मिल जाते हैं
हर वक्त हर जगह
अलग अलग अनुपात में
क्योंकि मुर्दे केवल वे ही नहीं होते
जो जिन्दगी जीने के बाद
सहज़ मृत्यु को प्राप्त हो
श्मशान में रहने को बाध्य होते हैं
मुर्दे वे भी होते हैं
जो जिन्दा रहते हुए भी
हो रहे अन्याय के विरुद्ध
आवाज उठाने से कतराते हैं
और मुंह फेर लेते हैं ऐसे वाक्यों से
दिन ब दिन बढती जा रही है
ऐसे मुर्दो की संख्या
हमारे और तुम्हारे बीच
अमरबेल के बेल की तरह
इस शाख से उस शाख तक

Thursday, 25 July 2019

**** तुम्हारे लिए आसान नही होगा****

वह कौन है
जो जरूरतों के बहाने
चुरा रहा है
धरती का हरापन

वह कौन है
जो विकास के बहाने
छीन रहा है
पहाड़ का पहाड़पन

वह कौन है
जो सुगम आवाजाही के बहाने
रोक रहा है
नदी का स्वच्छद बहाव

वह कौन है
जो परियोजनाओं के बहाने
उजाड़ रहा है
बसे बसाये गाँव और उनका  गाँवपन

वह कौन है
जो लोकहित के बहाने
नष्ट कर रहा
मानव और जंगल के सम्बन्धों को

समय रहते यदि
तुम समझे नहीं और रोका नहीं
तो एक दिन आयेगा
जब वह तुम्हारी ही आंखों के सामने
निगल जायेगा

तुम्हारे खेत, तुम्हारे जंगल,
तुम्हारी नदियां, तुम्हारे पहाड़,
तुम्हारे रिश्ते, तुम्हारा सौहार्द्र
तुम्हारा पुरुष, तुम्हारी स्त्री
और बहुत कुछ

क्योंकि दिन प्रति दिन
बढती ही जा रही है
उसके चबाने और पचाने की शक्ति
जिससे बच पाना
तुम्हारे लिए आसान नहीं होगा

Saturday, 20 July 2019

****एक अंजान सी लड़की***

एक अंजान सी लड़की,
सहज ही
जाने कितनी,
गहरी बात कह गई।
जाति के घाव गहरे हैं
कितने छालों के बल
वह बोल गई
परतों में लिपटी
स्याह परते बहुत
यह सच उघाड़ गई
भरौनी खाते जिस्मानी
गिद्धो की देह पर
घूरती नज़रों की
पोल सारी खोल गई
दुश्वारियों के बीच ही सही
मन को कचोट रहे
स्वार्थ के चिंतनों के राज़
अनोखे बोल गई
एक अंजान सी लड़की
सहज भाव में ही
जाने कितनी
गहरी बात कह गई
शिक्षित होकर भी
अस्पर्शता के दमित दंश को
पलकों में चुभा गई
           प्रद्युम्न कुमार सिंह

Monday, 15 July 2019

****मुर्दों के हर्फ नहीं होते****

मुर्दो के हर्फ नहीं होते
इसीलिए वे !बात भी नहीं कर सकते
श्रवण क्षमता नहीं होती
इसीलिए जिन्दा जबाने
सुन नही सकते
माद्दा नही
फासले तय कर सकें रास्ते
इतलिए उनके जरूरी होते हैं
चार कंंधे
जिनके सहारे तय कर सकें दूरियां
बोलना, सुनना
और चलना
मुर्दों का नहीं
जिन्दा कौमों का हुनर है
जिनमे यह होता है वे
जिन्दा होते हैं
जिनमे नहीं होता
वे मुर्दा
पर अफसोस !
आज जिन्दा कौमें
बढ़ रही है
मुर्दापन की ओर
और मुर्दे और श्मशान
दोनो खुश हैं
बढती हुई अपनी आबादी
देखकर

Sunday, 14 July 2019

अति उत्साही

कुछ !
अति उत्साही लोग
होते है
विचारों की प्रगतिशीलता के
जनक
स्वप्न में भी
जिन्हे सुनाई पड़ती है
क्रान्तिकारी विचार की धमक
जिनके केन्द्र में होता है
दुनिया का निरीह
जीव शिक्षक
जिसे जब भी चाहे
बनाया जा सकता
निशाना
यद्यपि उनके विचारों में
भरी होती है
सर्वश्रेष्ठ दिखने की
कुण्ठाग्रस्त मंशा
जिसे वे समय समय पर
जिसे करते हैं
गर्व के साथ
चकौड़ों की ओट से
प्रसारित
क्योंकि उनके प्रगतिशील
विचार उपजते हैं
खेतों में निठल्ले खड़े
इन्ही चकौड़े के पेड़ों को
देखकर ।

Wednesday, 10 July 2019

****कुकुरमुत्ते होते हैं****

कुकुरमुत्ते होते है
बहुत से लोग
जो जमते हैं
अवांछनीय जगहों पर
और इतराते
नवाबों सा
राव रैप्यतों से
चलते है अमानत में
खयानत के दाँंव
एड़ की चोट पर घोड़ो से
सरपट दौड़ते हैं

कुकुरमुत्ते होते हैं
बहुत से लोग
जो जमते हैं
अनचाही जगहों पर
ओढते हैं धर्म की
नमूदार चादर
गन्धाते हैं सड़ियल
कुक्कुर से
और डरते है लत्तों के
सांपों से
चुगतें हैं
कौवोंं से विष्टा के दाने

कुकुरमुत्ते होते हैं
बहुत से लोग
जो जमते हैं
अवांछनीय जगहों पर
शुरू करते हैं  गंगाजल से
और आदमी होकर भी
आदमियों से नफ़रत
करते हैं
रक्कासों सा नाचते हैं
ईशारों पर
फिर भी भरते है
मालिक होने का दम्भ ।
कुकुरमुत्तों जैसे