लोग टंगे हुए हुए
खूंटियों में
धरती तक नहीं
पहुंच पाते उनके पाँव
न ही पहुँच पाती हैं
उनकी अपेक्षाएं
यदि उन तक पहुंचाने होते हैं
कोई संदेश
तो उन्हे उतारना पड़ता है
खूंटियों से
जो आसान नहीं होता है
इसीलिए तुम्हे बचना चाहिए
संदेशों व सम्भावनाओं से
तब ही तुम
समझ सकते हो
खूंटी और धरती के बीच
छूटी हुई रिक्तता को
जो सीधे प्रभावित होती है
खूंटी में टंगे हुए
लोगों के विचारों
तथा भावनाओं से
तुम समझ सकते हो
पृथ्वी को
जो स्पष्ट रूप से
टंगी रहती है सदैव
आश्वस्तियों की
मज़बूती के साथ
खूंटियों मे टंगे हुए
लोगों की भाँति
सदैव तुम्हारे सामने
प्रश्न बढ रहे जितने
घट रहे उतने ही
उनके जवाब
खूँटियों पर टँगे हुए
आदमी
क्या खूंटियों में ही
टँगे रहेंगे हमेशा के लिए
या फिर कभी
उतरेंगे भी खूँटियों से
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