Thursday, 28 January 2021

शुरुआत तुमने की

शुरुआत तुमने की थी
खत्म हम करेंगे
है दम तो ठोक ताल
आ जाओ मैदान में
हम धरती को हरा भरा करने वाले
नहीं डरा सकते हमे तुम 
बन्दूकों से 
गर गिरा कतरा खून का हमारे
तो समझ लेना
आ जायेगा जलजला
नहीं बचा पायेंगे तुझे
यमराज भी इस कहर से
चल पड़ा किसान यदि सरहद से
तो क्या होगा तुम्हारा
संगीनों के साये में सोने वालों
जो दे सकता है 
भूख प्यास को भी मात
तुम क्या उसे मारोगे
यदि बनाना जानते हैं हम
तो बिगाड़ना भी आता है हमे
हम वो नहीं डरा जिसे तुम
भेड़िये का डर दिखाकर
याद कर लो ज़रा फिर से 
अपना इतिहास पुराना
तानाशाहों के हुए हस्र कैसे
हो जायेगा एहसास तुम्हे इसका
कुछ स्वार्थ में लिपटे
कुछ भुजंगों के बल पर 
जो तुम भूल रहे हो
तो याद रखना तुम 
विषधर चाहे जितना हो विषधारी
धरतीपुत्र सदा से रौंदता रहा हैं
उसका फुफकार मारते फन को
जिस दिन आ गया अपनी रवानी पर
क्या आंधी,क्या तूफान, 
क्या समुद्र, क्या पहाड़
रोक पायेंगे उसे

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