छुपे हुए हैं
अभी भी कई मनसुख लाल
तुम्हारी ओढी हुई
खोल में
कर रहें हैं
जो समय का इंतजार
ध्यान से खोजो उन्हे
मिल जायेंगे लिपटे हुए
चीलरों की तरह
रिश्तों की दुहाई देते हुए
दिखेंगे तुम्हारे गर्म खून पीने में तत्पर
उन्होने बना लिए है
उन्होने खोज लिए आवरण की
परतों में ही अपने लिए
रहने के सुरक्षित स्थल
जिसमे सहायक बनी हुई है
तुम्हारी लाचारी
यद्यपि तुम भी नही हो खुश
इनकी सहभागिता से
बावजूद इसके वे कामयाब है
खुद के मुताबिक तुम्हे ढालने में
परन्तु तुम्हे सन्तोष है
परिवर्तित होते समय में
असंगत हो चुकी
झूठी शान पर के बनाये रखने पर
जिसके हो चुके हो तुम आदी
और वे खुश हैं
तुम्हारे चकनाचूर स्वप्नो के
विखराव में भी
छुपने की जगहों में
अपना स्थायित्त्व हाशिल करके
क्योंकि उन्हे मालूम हो चुकी है
तुम्हारी कमजोर पड़ती हुई
सामर्थ्य जिसे धराशायी होने में
कुछ दिन ही शेष रह गये हैं
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