उम्र के साथ !
गहरी होती जाती हैं
माथे में
चिन्ता की लकीरें
घटती जाती हैं
रिश्तों के बीच घुली
मिठास
और बढ़ते चले जातें हैं
तन से मन के दरमियान
फासले
पनपने लगते हैं
आशाओं के बीच
निराशा के बहुत से भाव
घेर लेते हैं
खुशियों का स्थान
अवसाद
थमने लगती है
चाहत की पींगों की रफ्तार
बावजूद इसके मन करता है
कि वह लगातार करे
अनाहत कोशिशें
समय के साथ तदात्म
स्थापित करने की
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