Saturday, 20 June 2020

****वे पिता ही थे****

वे पिता ही थे
कभी भी नही कराते थे
जो एहसास 
अपने जर्जर होने का
अपनी विवाइयों के दर्द
कई रातो के जागने की
व्यथा का
क्योंकि वे देखना चाहते थे
हमेशा ही
बच्चों को खुश
वे उनकी ही खुशी में 
ढूंढ लेते थे 
खुद की खुशी
उनकी चहकन में
भूल जाते थे 
जीवन की फीकी होती
खुशियों की तासीर
वे नहीं चाहते थे
कभी भी उनका दर्द
जान सके उनके बच्चे
और उनकी खुशियों के क्षणों में
बन जाये बाधक
इसीलिए वे छिपाते थे
हमेशा ही अपने बच्चों से 
अपना दर्द

Thursday, 18 June 2020

****क्या तुम तैयार हो?****


क्या तुम तैयार हो ?
ओढी दसाई
मानसिकता ओढने के लिए
यदि हां 
तो निश्चित रूप से
तुम दे रहे हो खुद को 
धोखा
क्या तुम तैयार हो ?
आदिम परम्पराओं की ओर 
जाने के लिए
यदि हां 
तो निश्चित रूप से तुम
ढोंग कर रहे हो
अपने आप से
क्या तुम उत्सुक हो
        प्रद्युम्न कुमार सिंह
             प्रवक्ता
     श्री जे० पी० शर्मा इण्टर कालेज
           बबेरू बांदा उ०प्र०
       पिन कोड - 210121
       मोबाइल-08858172741