लड़की झांकती है
जब अपने एकान्त मे
उसे दिखाई पड़ती हैं
बहुत सी जानी पहिचानी
धूमिल सी रूहें
जिनमें वह खोजती है
अपनी ही खोई हुई रुह
और खो जाती है
अपने ही खोये वजूद में
वह बार बार करती है
प्रयत्न
अपने वजूद से निकलने का
फिर भी वह रहती है निकलने में
असफल
क्योंकि लड़की और उसका वजूद
मिलकर हो जाते है एक
जिनमें से एक को अलग करना
एक को खत्म कर देना है
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