Sunday 19 November 2017

****वे बचकर निकलते हैं सकुशल****

इतने चतुर हैं वे
जो तलाश लेते हैं
दुर्गम और असुरक्षित
स्थानों पर भी
पहुँचने के लिए
सुविधाजनक रास्ता
उन्हें आभास है
चुटहिल होने की
पीड़ा का
वे समझते हैं
त्यौरियों की नज़ाकत
और उनकी हक़ीकत को
क्योंकि वे वाकिफ होते है
त्यौरियों के चढने और उतरने के
हुनर से
इसीलिए वे भाँप लेते है
समय से पूर्व संभावित खतरा
वे खुद को अलगा लेते हैं
खतरे से पहले
और बचकर निकलते हैं
सकुशल

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